...'सफ़र' के गाने...

Posted: Thursday, April 15, 2010 by Vikrant in Labels:
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 (These songs were used in the 1st ever Musical play of IIT Bombay 'Safar')
Song 1:

जाना कहाँ है पता नहीं,
आये कहाँ से पता नहीं,
कितने दिनों से यहाँ पे बैठे,
ये भी हमको पता नहीं...
जाना कहाँ है पता नहीं....

song 2:

कमाल हो गया, कमाल हो गया,
जैसा कभी सोचा ना था हाल हो गया,
प्यार में पड़ गया तू तो तू बेहाल हो गया,
कमाल हो गया..

प्रेम की दुनिया बड़ी रंगीली, ऐसे रंग दिखलाये,
कौन गधा और कौन हिरन कुछ अंतर ना रह जाये,
प्रेमी के पहलु के आगे कुछ भी नज़र ना आये
जहाँ भी जाओ जिधर भी देखो नज़र वही बस आये,
घर में आ गई इतनी खुशियाँ...ये निहाल हो गया..
कमाल हो गया...

कुछ ही दिन में हिरनी को ये बात समझ में आई,
वो है एक हिरन गधों के बीच कहाँ से आयी..
घरवालों को छोड़ा तूने सबसे नाता तोडा,
एक हिरनी के चक्कर में तूने सबसे मुँह मोड़ा,
चली गयी वो तुझे छोड़ के...तू अकेला हो गया...

song 3:

हैय्या हो..हैय्या हो
हैय्या हो..हैय्या हो

सुन ले रे मन की पुकार,
भीगी अंखिया करे इंतज़ार,
पंथ  निहारें  पंथी  सारे
ले चल भंवर के पार

हैय्या हो..हैय्या हो..

Song 4:

जिये के आधार..रहे जे संगतिया,
उकरे से भईले  न मेल,
नेहिया के रहिया पे हमके चला के,
गढ़वा  में देलस धकेल...
ऊपर वाला अजब तोहर खेल..२

सात जनम जे निभावे के सोचनी..२
होई इहे जिनगी में फेल,
चारों तरफ अंधियारा बरहिया,
बुझ गइल दिया बाती तेल..
ऊपर वाला अजब तोहर खेल..

Song 5: 

आपन साथी के भुला के केहू जाई कहाँ रे..
पंछी उरे रे आकास, करे गछिया पे बास,
हाथ संगी से छुड़ा के खुसी पाई कहाँ रे,
केहू जाई कहाँ रे....२

song 6:

हाँ तो कहानी कुछ ऎसी है भैया..
अरे कैसी है भैया कैसी है भैया...
कहके सुनाएँ या गा के सुनाएँ..
अरे गा के सुनाओ कुछ बजा के सुनाओ..

सुनो सुनो तुम आज सुनो एक बात पुरानी ...तिनक धिनक धा
धोबी घाट जंगल के हिरन पीते थे पानी..तिनक धिनक धा
उसी घाट की सुनो अजब ये प्रेम कहानी..तिनक धिनक धा
प्रेम डोर में बंधा गधा हुई हिरनी दीवानी तिनक धिनक धा
अरे कैसे हुआ मिलन
ताऊ हमें बता
दोनों के प्यार का
किस्सा हमें सुना..

दोनों के प्यार की खबरें उनके घरवालों तक आयी..
फिर क्या हुआ...
अरे मिलन की बात करते हो तुम सब...हो गयी उनकी जुदायी..
क्यों है घरवाले नाराज़..उनकी समझ में ना आई..
अंजाम जो भी हो बस..साथ जीने मरने की कसमें खायी..फिर???
फिर.!!!
फिर एक रात दोनों अचानक नींद से जाग गए..
हाथो में हाथ डाले...वो तो घर से भाग गए.......

अरे कैसे हुआ मिलन, ताऊ हमें बता..
दोनों के प्यार का किस्सा हमें सुना...

Song 7:
 सुबह की भूली शाम को लौटी,हिरनी वापस आई..
पुलकित हो गए नैन, गधे ने फिर से खुशियाँ पायी
मिले है अब फिर जुदा न होंगे..ऎसी कसमे खाई..
जग की रीत तो जग ही जाने, प्रीत की रीत निभाई..
कट अब तो दुःख की रातें..........फिर सवेरा हो गया....
कमाल हो गया...कमाल हो गया...
जैसा पहले सोचा ना था हाल हो गया...
कमाल हो गया.......

2 comments:

  1. Unknown says:

    awesome songs...
    and the play was great,must be remembered as one of the best of IITB.