...रात है , रात है...

Posted: Monday, March 22, 2010 by Vikrant in Labels:
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यह गाना मैंने 'बोलती दुनिया'/'चरैवेति-चरैवेति' play के लिए लिखा था.
रात    है  , रात      है l
कही-सुनी इक बात है ll

बिल्ली चीखे कुत्ते रोये 
सुबह का सूरज नींद में सोये
कानी लोमड़ी की घात है
रात    है  , रात      है l
कही-सुनी इक बात है ll 

साँप है चढ़ता सीढ़ी फिसले 
चला जो पासा फिर न निकले 
हर कोई खाता मात है
रात    है  , रात      है l
कही-सुनी इक बात है ll

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