"रिक्शावाले अंकल,आपने आंटी को वैलेंटाइन डे विश किया?"
"क्या किया!?"
"अरे आपने आंटी को हैप्पी वैलेंटाइन डे कहा?"
"ये क्या होता है?"
"अरे आपको वैलेंटाइन डे नहीं पता!मैं बताती हूँ,जब कोई लड़का किसी लड़की से बहुत प्यार करता है तो उसको आज के दिन हैप्पी वैलेंटाइन डे कहता है"
"तो हम आप ही से कह देते हैं..."
"धत,आप तो एकदम से बुद्धू हैं,अरे ये वाला प्यार नहीं,'वो वाला प्यार' "
" 'वो वाला प्यार' मतलब क्या?"
"अरे मुझे शर्म आती है,किसी से कहना नहीं तो बताती हूँ,अरे ' वो' मम्मी-पापा वाला प्यार,अंकल आंटी वाला प्यार और सोनू भैया और उनके क्लास की प्रिया दी वाला प्यार"
छोटी सी बच्ची साँसों के सहारे 'कोई सुन न ले' वाली अदा में सब कुछ सुनाती चली गयी
"हाँ हाँ नंदू बिटिया मैं सब समझ गया,अब जल्दी से क्लास जाओ,मैडम आती ही होंगी"
नंदू यानि कि राजनंदिनी रिक्शे से उतर कर झटपट क्लास की ओर भाग चली
"अरे संभल के"
"मुझे कुछ नहीं होगा,I'm a complan girl,और हाँ किसी से आज वाली बात बताना मत "
और फिर नंदू एक झटके में क्लास के अंदर चली गयी.
थका हारा अब्दुल रात को घर लौटा तो फिर से वही पुरानी नुकीली चिरचिराई सी आवाज कानों पे नगाड़े बजाने लगी
"आ गए?और थोड़ा Late से आते,देह में पाव भर का मांस तो बचा नहीं है,काहे नहीं जवान छोकरे को रिक्शा चलाने भेज देते हो,पढ़ लिख के कलक्टर तो नहिये न बनेगा,अब हमारा तो इस घर में सुनने वाला कोई है नहीं,कौन पाप किये थे जो ई घर में ..."
"ए बुढ़िया,ज़रा पानी लेके आओ,पूरे दिन बरबर करते रहती है" अब्दुल कहते हुए झोली के अन्दर कुछ टटोलने लगा
"हाँ आते हैं,कहते हैं कि दो दो बेटी निकाह के लिए...लो पियो खूब पानी,खाना तो दो टाइम ठीक से खाओगे नहीं..."
"ग्लास दोगी???"
"हाँ तो लो न,हम कहाँ अपने लिए..."
"देखो तुम्हारे लिए कुछ लाये हैं" कहते हुए अब्दुल ने फूलों का गजरा और बाल में लगाने वाला तेल फरीदा(बुढ़िया) के सामने रख दिया
"और एक ठो बात कहें?...हैप्पी वैलेंटाइन डे"
"धत बुड्ढा,ई बुढापा में जवानी चढ़ गया है क्या फिर से" अब्दुल को इस बार फरीदा कि आवाज में अजब सी मिठास घुली मालूम हुई
"तू पहले से जानती है क्या वैलेंटाइन डे के बारे में???"
"हाँ जहाँ काम करते हैं न,वहां साब मेमसाब को यही कह-कह के चुम्मा-चाटी कर रहा था"
कहते हुए जब तक फरीदा पलटी,अब्दुल बिलकुल पास आ चुका था और दबे होठों से गुनगुना रहा था "ऐ मेरी जौहरो-जबीं,तुझे मालूम नहीं,तू अभी तक है हसीं और मैं जवाँ"
"हट बुड्ढे,तनिक शर्म भी नहीं आती"
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15 comments:
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Gajab likhe ho!
Exam hi insaan ki asli creativity ko bahar lata hai :P.
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sahi main ...bahut hi pyaara ...
language ke karn aur bhi mast lag raha hai
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bahut acha hai... bahut time baad hindi padh raha tha.. acha laga! :)
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bahut hi simple n touching story likhi he ...
gajabe dhaa diyo ho !!
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thanx,
meri koshish hogi ki main likhta rahun aur aapki honi chahiye ki "main likhta rahun..."
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kya baat hai vikrant bhai...bilkul mithas ghl diye...bahut hi sundar likha hai...
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bahut achchha BulBula hai bhai..thanxx,,and keep goin..
bahut hi pyara likha hai